विधानसभा




अध्याय 7 राज्य सरकार
                       विधानसभा
Ø  अनुच्छेद 170 विधानसभाओ कि संरचना
·         विधानसभा राज्य के विधानमंडल का निम्न सदन है यह एक अस्थायी सदन है जिसके सदस्य अर्थात विधायको का चुनाव जनता द्वारा 5 वर्ष के लिए व्यस्क मताधिकार के आधार पर किया जाता है
·         अनुच्छेद 170 के अनुसार विधानसभा के सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से राज्य की जनता द्वारा होता है राज्य की विधानसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 500 और न्यूनतम संख्या 60 हो सकती है
·         राजस्थान की विधानसभा की सीटे 200 है
Ø  निर्वाचन पद्धति
·         आंग्ल भारतीय समुदाय के एक नामजद सदस्य को छोड़कर विधानसभा के अन्य सभी सदस्यों का निर्वाचन मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुनाव होता है
·         चुनाव के लिए वयस्क मताधिकार और संयुक्त निर्वाचन प्रणाली तथा साधारण बहुमत की पद्धति अपनायी गयी है।
·         संविधान में राज्य की जनसँख्या के अनुपात के आधार पर प्रत्येक राज्य की विधानसभा के लिए अनुसूचित जाती/जनजाति की सीटो की व्यवस्था की गई है
·         राजस्थान में अनु.जाती(sc) की 34 सीटे व अनुसूचित जनजाति की 25 सीटे निर्धारित है
Ø  विधानसभा के सदस्यों की योग्यताएँ
·         वह भारत का नागरिक हो,
·         उसकी आयु कम से कम 25 वर्ष हो,
·         वह भारत सरकार अथवा राज्य सरकार के अधीन लाभ का पद धारण किये हुए न हो,
·         वह पागल या दिवालिया घोषित न किया जा चूका हो,
·         वह संसद या राज्य के विधानमंडल द्वारा निर्धारित शर्तो की पूर्ति करता हो
Ø  विधानसभा के सदस्यों की सदस्यता का अंत
·         कोई भी व्यक्ति यदि राज्य विधानमंडलों के दोनों सदनों (विधानसभा या विधानपरिषद )  का सदस्य निर्वाचित हो जाता है, तो उसे एक सदन से त्याग पत्र देना होगा। इसी प्रकार कोई भी  व्यक्ति राज्य के विधानमंडल और संसद दोनों का एक साथ सदस्य नहीं रह सकता है।
·         कोई भी सदस्य यदि विधानमंडल के संबंधित सदन की बैठक में सदन की आज्ञा के बिना लगातार 60 दिन तक अनुपस्थित रहता है तो उस सदस्य की सदस्यता का  अंत हो जाता है ।
·         यदि किसी सदन का सदस्य होने के बाद उसमें सदस्यता के लिए निर्धारित योग्यता नहीं रह जाती है या उसमें कोई निर्धारित अयोग्यता पैदा हो जाती है ।
Ø  कार्यकाल
·         राज्य विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष है। राज्यपाल द्वारा इसे समय से पूर्व भी भंग किया ज सकता है।
       यदि संकटकाल की घोषणा प्रवर्तन में हो तो ससंद विधि द्वारा विधानसभा का कार्यकाल बढ़ा सकती है जो एक बार 1 वर्ष से अधिक नहीं होगीं तथा किसी भी अवस्था में संकटकाल की घोषणा समाप्त हो जाने के बाद 6 माह की अवधि से अधिक नहीं होगा।
Ø  विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष अनुच्छेद 178
·         विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष इन दोनों का चुनाव विधानसभा के सदस्य करते है तथा इनका कार्यकाल विधानसभा के कार्यकाल तक होता है ।इसके बीच अध्यक्ष अपना त्याग पत्र उपाध्यक्ष की व उपाध्यक्ष अपना त्याग पत्र अध्यक्ष को देता है ।
·         इन दोनों को विधानसभा सदस्यों के बहुमत द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव के आधार पर हटाया ज सकता है किन्तु इस प्रस्ताव की सूचना 14 दिन पूर्व अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को देना आवश्यक है।
Ø  अध्यक्ष के कार्य
·         वह विधानसभा की बैठकों की अध्यक्षता करता है और सदन की कारवाही का संचालनकरता है।
·         सदन में शांति और व्यवस्था बनाये रखना उसका मुख्य उतरदायित्व है तथा इस हेतु समस्त आवश्यक कार्यवाही करने का अधिकार है।
·         सदन का कोई सदस्य सदन में उसकी आज्ञा से ही भाषण दे सकता है ।
·         सदन के नेता के परामर्श से वह सदन की कार्यवाही का क्रम निशिचत कर सकता है।
·         वह प्रश्नों को स्वीकार करता है नियम विरुद्ध होने पर उसे अस्वीकार करता है।
·         वह मतदान के पश्चात् परिणाम को घोषणा करता है।
·         सामान्य परिस्थिति में वह मतदान में भाग नहीं लेता परन्तु मत पक्ष और विपक्ष में बराबर होने पर वह निर्णायक मत का प्रयोग करता है।
·         कोई विधेयक धन विधेयक है अथवा नहीं इसका निर्णय अध्यक्ष करता है ।
Ø  राज्य विधानसभा के कार्य आर शक्तियां
Ø  विधायी शक्ति :-
·         राज्य के विधानमंडल को सामान्यता उन सभी विषयों प कानून बनाने का अधिकार जो राज्य सूची मै और समवर्ती सूची में दिए गये है।
·         साधारण विधेयक राज्य विधानमंडल के किसी भी सदन में प्रस्तावित किये ज सकते है किन्तु इसके सम्बन्ध में अंतिम शक्ति विधानसभा को ही प्राप्त है।
Ø  वितीय शक्ति : -
·         विधानमंडल मुख्यता विधानसभा को राज्य के धन पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त होता है ।
·         आय व्यय का वार्षिक लेखा (बजट) विधानसभा से स्वीकृत होने पर ही शासन द्वारा आय-व्यय से संमंधित कोई कार्य किया ज सकता है।
·         विधानमंडल  से विनियोग विधेयक पास होने पर ही सरकार संचित निधि से व्यय हेतु धन निकाल सकती है।
Ø  प्रशासनिक शक्ति :-
·         संविधान द्वारा राज्यों के क्षेत्र में भी संसदात्मक व्यवस्था स्थापित किये जाने के कारण राज्य मंत्रिमंडल अपनी नीति और कार्यो के लिए विधानमंडल विशेषयता विधानसभा के प्रति उतरदायी होता है।
·         विधानसभा के सदस्यों द्वारा मंत्रियों को उनके विभाग के सम्बन्ध में प्रश्न पूछे जा सकते है
·         मंत्रिमंडल के विरुद्ध निंदा का प्रस्ताव, आलोचना का प्रस्ताव, काम रोको प्रस्ताव पास किया ज सकता है ।
·         विधानसभा द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पास किया ज सकता है जिसके कारण मंत्रिमंडल को पद त्याग करना होता है।
Ø  संविधान में संशोधन की शक्ति :
·         हमारे संविधान की कुछ धाराएँ ऐसी है जिनमें संशोधन के लिए जरुरी है की संसद द्वारा विशेष बहुमत के आधार पर पारित प्रस्ताव को कम से कम आधे राज्यों के विधानमंडलो द्वारा स्वीकार किया जाये।
·         राज्य विधानमंडल को संविधान में संशोधन प्रस्ताविक करने का अधिकार नहीं है।
·         राज्य विधानमंडल केवल अनुसमर्थन या अस्वीकृत कर सकते है
Ø  निर्वाचन सम्बन्धी शक्ति:-
·         राज्य की विधानसभा के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते है।
Ø  विधानसभा गणपूर्ति तथा सत्र
·         विधानसभा बैठक के लिए गणपूर्ति कम से कम 10% या 1/10 सदस्य सदन में उपस्थित हो लेकिन यह संख्या किसी भी शर्त पर 10 से कम नहीं होनी चाहिए।
·         विधानसभा का सत्र एक वर्ष में कम से कम दो बार आहूत किया जाना चाहिए।
·         किन्ही दो सत्रों के बीच 6 माह का अंतर नहीं होना चाहिए ।
·         विशेष परिस्थियों में विधानसभा का विशेष सत्र भी बुलाया ज सकता है ।

Ø  विधानसभा के पदाधिकारी
Ø  राज्यपाल  :- श्री कलराज मिश्र
Ø  राजस्थान विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष :- नरोत्तम लाल जोशी
Ø  राजस्थान विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष : - सी.पी. जोशी
Ø  राजस्थान विधानसभा के  वर्तमान नेता : - अशोक गहलोत
Ø  राजस्थान विधानसभा के वर्तमान नेता प्रतिपक्ष : -गुलाब चंद कटारिया
Ø  वर्तमान में राजस्थान में 15 वीं विधानसभा चल रही है।


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