राजस्थान का इतिहास ( जालोर के चौहान )

                    राजस्थान का इतिहास


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                                  जालोर के चौहान
जालोर का नाम = महर्षि जावाली के नाम के कारण इसे जावालीपुर कहते है
                                                                                      i.       बिजौलिया शिलालेख में उल्लेख

·        वर्तमान में जाल वृक्ष अधिक होने के कारण इसका नाम जालोर पड़ा
·         जालोर दुर्ग के नाम = सुवर्ण गिरी, कंचनगिरी, सोनगिरी
·         इसी दुर्ग के कारण यह जालोर के सोनगरा चौहान कहलाये थे

                      1. कीर्तिपाल चौहान 1181 ई.
Ø चौहान वंश का संस्थापक ( जालोर का)
Ø नाडौल अल्हण का पुत्र
Ø उपाधि = कीतु एक महान राजा ( यह उपाधि मुहणत नैणसी ने दी)
Ø मुंशी देवी प्रसाद ने मुहणत नैणसी को राजस्थान का अबुल फजल कहाँ
 

                   2. कान्हड़देव चौहान  ( 1305 – 1311 )
Ø शासक प्रभाव इनके पिता सामंतसिंह ने 1296 में सौप दी थी
Ø इनके समय में दिल्ली का शासक अलाउद्दीन खिलजी था
Ø इनके समय मेवाड़ का शासक समरसिंह था
Ø गुजरात का शासक कर्णबघेला था
Ø कान्हड़देव के पुत्र का नाम वीरम देव था
Ø 1305 ई. में अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति ऍन. उल. मुल्क मुल्तानी ने आक्रमण किया
Ø 1305 ई. में संधि के तहत विरमदेव को अलाउद्दीन के दरबार में भेजा गया

Ø सिवाना दुर्ग = बाड़मेर में स्थित
§  हल्देश्वर की पहाड़ी पर स्थित
§  वीर नारायण पंवार ने निर्माण करवाया
§  जालोर दुर्ग की कुंजी
§  मारवाड़ राजाओ की शरणस्थली


Ø 1308 में अलाउद्दीन ने सिवाणा दुर्ग पर आक्रमण किया
Ø अलाउद्दीन का सेनापति कमालूहिन्
Ø सिवाना दुर्ग का प्रशासक = शीतलदेव
Ø सेनापति  = भावले पंवार
Ø 1308 ई. अलाउद्दीन खिलजी ने सिवाना दुर्ग पर अधिकार कर उसका नाम खैराबाद कर दिया
Ø अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति दहिया बीका ने जालोर दुर्ग पर आक्रमण किया
Ø कान्हड़देव वीरगति को प्राप्त होते है
Ø विरमदेव द्वारा आत्महत्या कर ली जाती है ( आशापुरा मंदिर में)
Ø अलाउद्दीन खिलजी ने जालोर दुर्ग का नाम  जलालाबाद रखा


Ø लेखक  :-  पद्मनाम  = कान्हड़देव प्रबंधन
§  अमीर खुसरो  = खजाइन उल फतुह
                    फ़रिश्ता  = तारीख ह फ़रिश्ता

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