1. जिनेवा कनर्वेशन
Ø
अब तक चार (4)
जिनेवा कनर्वेशन हो चुके है
पहला जिनेवा कनर्वेशन 1864 ई. में हुआ
Ø
कार्य :- युद्धबंधियो के मानव अधिकार , युद्ध के
दौरान घायल और बीमार सैनिको की सुरक्षा , चिकित्साकर्मियों की सुरक्षा
2. दूसरा जिनेवा कनर्वेशन 1906
Ø
कार्य :- समुंद्री युद्ध और उससे जुड़े प्रावधानों
शामिल किया
Ø
समुन्द्र में घायल बीमार और जलपोत वाले सैन्य
कर्मियों की सुरक्षा
3. तीसरा जिनेवा कनर्वेशन 1929
Ø
कार्य :- युद्ध के कैदियों पर लागु
Ø
कैद की स्थिति और स्थान सटीक रूप से परिभाषित
Ø
श्रम व वितीय संसाधनों जिक्र
Ø
राहत व न्यायिक कार्यवाही
Ø
युद्धबंदियों को बिना देरी के रिहा करने का
प्रावधान
4. चौथा जिनेवा कनर्वेशन 1949
Ø
कार्य :- युद्ध वाले क्षेत्र व नागरिको को सरक्षण
o
नागरिको व घायलों की सुरक्षा व युद्ध क्षेत्र के
आस – पास लोगो की सुरक्षा
Ø
1949 में हुआ जिनेवा कनर्वेशन 21 अक्टूबर 1950
में लागु हुआ
2. C. D. S. चीफ ऑफ डिफेन्स
Ø
नियुक्ति :- राष्ट्रपति
Ø प्रथम – जनरल विपिन
रावत
Ø
तीनो सेनाओं ( जल , थल, वायु) का अध्यक्ष
3. दया याचिका
Ø
अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को क्षमादान की
शक्ति प्राप्त है
Ø
राज्यपाल को
अनुच्छेद 161 के तहत क्षमादान की शक्ति प्राप्त है – परन्तु मृत्यु दण्ड के
मामले में राज्यपाल को यह शक्ति प्राप्त
नहीं है बल्कि यह केवल राष्ट्रपति के पास है
Ø
राष्ट्रपति दया याचिका आने पर अनुच्छेद 72 के तहत
वह याचिका गृहमंत्रालय के पास भेजी जाती
है वहाँ से मंजूरी मिलाने के बाद राष्ट्रपति के पास स्वीकृत होती है
Ø
राष्ट्रपति अनुच्छेद 72 का प्रयोग केन्द्रीय
मंत्रिमंडल की सलाह से करेगा
4. लाभ का पद
Ø
अनुच्छेद 102(a) और अनुच्छेद 191(अ) में लाभ के
पद का उल्लेख है
Ø
अनुच्छेद 102(a) - संसद के सदस्यों के लिए
Ø
अनुच्छेद 191(अ) – विधानसभा सदस्यों के लिए
Ø
अर्थ :-* किसी अन्य पद को धारण करने की मनाही है
जहाँ वेतन , भत्ते या अन्य दूसरी तरह के सरकारी लाभ मिलते है
Ø
91 वां सविंधान संशोधन अनुच्छेद
164(अ) में यह प्रावधान किया गया की राज्य मंत्रीपरिषद का आकार विधानमंडल
के आकार के 15% से अधिकनहीं होगा

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