भारत का राष्ट्रपति


                              


भारत का राष्ट्रपति
Ø  अनुच्छेद 52 में कहा गया की भारत का एक राष्ट्रपति होगा
Ø  अनुच्छेद 53 में कहा गया की संघ की कार्यपालिका शक्तियाँ राष्ट्रपति में निहित होंगी जिनका प्रयोग वह स्वयं या अपने अधीनस्थों के माध्यम से करेगा
Ø  अनुच्छेद 54 राष्ट्रपति का निर्वाचन मंडल जिसमें
·         संसद के सभी निर्वाचित सदस्य (लोकसभा  + राज्यसभा )
·         सभी राज्यों के विधानसभाओ के निर्वाचित सदस्य
·         दिल्ली व पडोचेरी केंद्रशासित प्रदेशो के विधानसभा के निर्वाचित सदस्य (70 वां सविंधान संसोधन 1992 में इन दो केन्द्रशासित प्रदेशो को राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने का अधिकार दिया)
·         नोट:- राष्ट्रपति के चुनाव में मनोनीत सदस्य भाग नहीं लेते है
Ø  अनुच्छेद 55 में राष्ट्रपति की निर्वाचन विधि
·         राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष तरीके से गुप्त मतदान प्रणाली के द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमण मत पद्दति से होता है
·         इस विधि को एद्दे/आड़े हेयर विधि भी कहते है
·         नोट:-* 84 वां सविंधान संसोधन 2001 के अनुसार 2026 तक राष्ट्रपति के निर्वाचन में 1971 की जनसँख्या को आधार माना जायेगा
·         अनुपातिक प्रतिनिधित्व :- राष्ट्रपति के निर्वाचन में सर्व प्रथम विधायको एवं सांसदों के मतों का मूल्य ज्ञात किया जाता है
·         विधायक का मत मूल्य :- उस राज्य की जनसँख्या (1971) ÷ राज्य के निर्वाचित विधायको की संख्या x 1000 
·         सांसद के मत मूल्य :- सभी राज्यों विधायको के मत मूल्य का योग ÷ निर्वाचित सांसदों की संख्या
·         निर्वाचन का तरीका :- एकल संक्रमणीय मत पद्दति
·         राष्ट्रपति के निर्वाचन में प्रत्येक मतदाता को उम्मीदवार के नाम के सामने के काँलम में अपनी पसन्द यानि वरीयता अंकित करनी होती है
·         जिस उम्मीदवार को कुल वोटो के 50% से अधिक वोट पहली वरीयता में मिल जायेंगे उसे विजय घोषित किया जाता है
·         ऐसा नहीं होने पर जिस उम्मीदवार को प्रथम वरीयता के सबसे कम वोट मिलते है उसकी दूसरी वरीयता के  वोट शेष सभी उम्मीदवार की प्रथम वरीयता में उस अनुपात में वितरित किये जायेगें जिस अनुपात इन्हें द्वितीय वरीयता के मत मिले है
Ø  नोट:- अबतक केवल एक बार 1969 में राष्ट्रपति वी. वी. गिरी द्वितीय वरीयता की गणना से राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे

Ø  अनुच्छेद 56 में राष्ट्रपति का कार्यकाल
·         राष्ट्रपति का कार्यकाल पद ग्रहण करने की तिथि से 5 वर्ष होता है परन्तु वह अपने पद पर  तब तक बना रहा है जब तक उसका उतराधिकारी पद ग्रहण नहीं कर लेता है
Ø  अनुच्छेद 57 में राष्ट्रपति के पुन: निर्वाचन का प्रावधान
·         कोई व्यक्ति जीतनी बार चाहे देश का राष्ट्रपति निर्वाचित हो सकता है संविधान इस मामले में मौन है
Ø  अनुच्छेद 58 राष्ट्रपति पद हेतु योग्यताए
·         वह भारत का नागरिक हो।
·         न्यूनतम 35 वर्ष आयु का हो।
·         किसी लाभ के पद पर न हो ।
·         वह लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो।
Ø  अनुच्छेद 59 में राष्ट्रपति बनने हेतु शर्ते
·         15000 रु की जमानत राशी ( यह राशी RBI रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया में जमा होती है)
·         राष्ट्रपति के चुनाव में लड़ने के लिए  वाले प्रत्याक्षी के लिए  50 प्रस्तावक व 50 अनुमोदन अनिवार्य है।
Ø  अनुच्छेद 60 में राष्ट्रपति हेतु शपथ
·         राष्ट्रपति को शपथ सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश के द्वारा दिलाते है इसकी अनुपस्थिति में अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों के द्वारा शपथ दिलाते है।
Ø  अनुच्छेद 61 में राष्ट्रपति को पद से हटाने की विधि ( महाभियोग)
·         राष्ट्रपति द्वारा संविधान का उल्घंन करने , सिद्ध कदाचार (भष्टाचार) तथा अक्षमता के आधार पर संसद महाभियोग लगाकर राष्ट्रपति को उसके पद से हटा सकती है
1.  महाभियोग का प्रस्ताव किसी भी सदन में पहले लाया जा सकता है।
2.  उस सदन ( जिस सदन में लाया गया ) के 25% यानि ¼ सदस्य हस्ताक्षर करेंगे
3.  राष्ट्रपति को 14 दिनों का बचाव के लिए मौका दिया जायेगा जिससे वह अपना पक्ष रख  सकता है
4.  दोनों सदनों ( लोकसभा+ राज्यसभा) में अलग - अलग दो तिहाई 2/3 बहुमत प्रस्ताव पारित किया जायेगा
5.  राष्ट्रपति पद से बर्खास्त माना जायेगा 
Ø  अनुच्छेद 62 में राष्ट्रपति का त्याग पत्र
·         राष्ट्रपति अपना त्याग पत्र उपराष्ट्रपति को देता है और उपराष्ट्रपति इसकी सूचना सबसे पहले लोकसभा अध्यक्ष को देता है
·         उपराष्ट्रपति अनुच्छेद 62 के तहत 6 माह तक तक राष्ट्रपति के पद पर कार्य करता है
Ø  नोट:- जब राष्ट्रपति पद पर नहीं हो तो उनके सभी कार्य उपराष्ट्रपति देखता है और यदि दोनों ही पद पर नहीं होते तब सर्वोत्तम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है

राष्ट्रपति की शक्तियाँ और कार्य :-
1. सामान्यकालीन शक्तियाँ  
1.   कार्यपालिका अथवा प्रशासनिक शक्तियाँ :-
                           i.   संविधान के अनुच्छेद 53 के अनुसार संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी तथा वह इसका प्रयोग संविधान के अनुसार स्वय या अपने अधीनस्थ पदाधिकारियों के द्वारा करेगा। इस प्रकार शासक के समस्त कार्य राष्ट्रपति के नाम से होगाऔर सरकार के समस्त निर्णय उसके ही माने जायेगे
    ii.     राष्ट्रपति निम्न अधिकारीयों की नियुक्ति करता है
प्रधानमन्त्री, प्रधानमंत्री की सलाह से मंत्रिपरिषद , राज्यों के राज्यपाल , सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायाधीश , विदेशों  में राजदूतों, मुख्य व अन्य निर्वाचन आयुक्तों , संघ लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष व अन्य सदस्यों, राष्ट्रीय स्तरों पर आयोग
2. विधायी शक्तियाँ :-
   i.     राष्ट्रपति संसद के अधिवेशन बुलाता है और अधिवेशन समाप्ति की घोषणा करता है
   ii.     वह प्रधानमंत्री की सिफारिश पर लोकसभा को उसके समय से पूर्व भंग कर सकता है ऐसा अब तक 9 बार लोकसभा को समय से पूर्व भंग किया गया है
  iii.     संसद के अधिवेशन के प्रारम्भ में राष्ट्रपति दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में भाषण देता है
  iv.     राष्ट्रपति राज्यसभा में 12 सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार है जिनके द्वारा साहित्य, विज्ञान , कला या अन्य किसी क्षेत्र में विशेष सेवा की गयी हो । वह लोकसभा में 2 आंग्ल भारतीय सदस्यों को मनोनीत करता है ।
   v.     संसद द्वारा स्वीकृत प्रत्येक विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद ही कानून का रूप ग्रहण करता है। राष्ट्रपति किसी विधेयक को एक बार पुन: विचार के लिए लौटा सकता है परन्तु जब वही विधेयक दूसरी बार राष्ट्रपति  के पास आता है राष्ट्रपति अनिवार्य रूप से उस पर हस्ताक्षर करेगा उसे स्वीकृति देगा।
  vi.     जिस समय संसद का अधिवेशन न हो रहा हो उस समय राष्ट्रपति अनुच्छेद 123 के तहत अध्यादेश जारी करने का अधिकार है। अध्यादेश अधिकतम अवधि  6 माह या 6 सप्ताह तक मान्य रह सकता है। राष्ट्रपति ऐसा अध्यादेश किसी भी  समय वापस ले सकता है।
3. वित्तीय शक्तियाँ :-
Ø  अनुच्छेद 280 के अंतर्गत राष्ट्रपति प्रत्येक 5 वर्ष के लिए एक वित्त आयोग का गठन करता है यह आयोग केंद्र व राज्यों के बीच करों के विभाजन की सिफारिश करता है।
Ø  धन विधेयक व वित्त विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति के बिना लोकसभा में प्रस्तुत नहीं किए ज सकते ।
4. न्यायिक शक्तियाँ :-
Ø  राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय व उच्चन्यायालय के न्यायाधीशकी नियुक्ति करता है।
Ø  अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्ति प्राप्त है
Ø  राज्यपाल को  अनुच्छेद 161 के तहत क्षमादान की शक्ति प्राप्त है – परन्तु मृत्यु दण्ड के मामले में राज्यपाल को यह शक्ति प्राप्त नहीं है बल्कि यह केवल राष्ट्रपति के पास है
Ø  राष्ट्रपति दया याचिका आने पर अनुच्छेद 72 के तहत वह याचिका गृहमंत्रालय के पास भेजी  जाती है वहाँ से मंजूरी मिलाने के बाद राष्ट्रपति के पास स्वीकृत होती है
Ø  राष्ट्रपति अनुच्छेद 72 का प्रयोग केन्द्रीय मंत्रिमंडल की सलाह से करेगा
2. संकटकालीन शक्तियाँ :-
Ø  अनुच्छेद 352 मूल संविधान में व्यवस्था थी कि यदि राष्ट्रपति को समाधान हो जाए की युद्ध , बाहरी आक्रमण, या आन्तरिक अशांति के कारण वह भारत या उसके किसी भाग पर शांति या व्यवस्था नष्ट होने पर राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा कर सकता है
Ø  44 वां संविधान संशोधन अधिनियम 1978 :- अनुच्छेद 352 में उल्लेखित शब्द आन्तरिक अशांति के स्थान पर सशस्त्र विद्रोह शब्द प्रतिस्थापित किया गया
Ø  राष्ट्रपति अनुच्छेद 352 के अंतर्गत आपातकाल की घोषणा तभी कर सकता जब मंत्रिमंडल ( केबिनेट मंत्री) लिखित रूप में राष्ट्रपति को ऐसा परामर्श दे।
Ø  जब अनुच्छेद 352 घोषणा के एक माह के अन्दर संसद के विशेष बहुमत ( लोकसभा + राज्यसभा) इसकी स्वीकृति आवश्यक होगीऔर इसे लागु रखने के लिए प्रति 6 माह बाद स्वीकृति आवश्यक होगी।
Ø  राष्ट्रपति लोकसभा के साधारण बहुमत के द्वारा इसे समाप्त कर सकता है।
Ø  अब तक तीन बार अनुच्छेद 352 का प्रयोग किया गया है
1.  26 अक्टूबर 1962  भारत – चीन युद्ध के समय प्रधानमंत्री नेहरु व राष्ट्रपति राधाकृष्ण के द्वारा घोषणा
2.  3 दिसम्बर 1971 को भारत – पाक युद्ध के समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व राष्ट्रपति वी.वी.गिरी द्वारा घोषणा
3.  25 जून 1975 को आन्तरिक अशांति के आधार पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व राष्ट्रपति फकरुद्दीन अली अहमद ने घोषणा  
Ø  अनुच्छेद 356 राज्यों में संवैधानिक तंत्र के विफल होने से उत्पन्न सकंट कालीन व्यवस्था
·         अनुच्छेद 356 के अनुसार यदि किसी राज्य में शासन व्यवस्था संविधान के अनुसार नहीं चाल रहा है तो उस राज्य का राज्यपाल की सिफारिश पर राष्ट्रपति शासक लगा सकता है।
·         राष्ट्रपति अनुच्छेद 356 के अंतर्गत उस राज्य में राष्ट्रपति शासन की उद्घोषणा कर सकता है।
·         प्रारम्भ में यह 6 माह के लिए लागू किया जा सकता है अधिकतम 3 वर्ष के लिए लागू किया ज सकता है
अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल
यदि देश की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है या देश की साख को खतरा उपन्न हो तो राष्ट्रपति अनुच्छेद 360 का प्रयोग कर सकता है यह सम्पूर्ण भारत या भारत के किसी भाग में लागु किया जा सकता है

अब तक भारत में अनुच्छेद 360 का प्रयोग एक बार भी नहीं किया है। 







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