वाच्य – परिवर्तनम्





v वाच्य – परिवर्तनम्
Ø  संस्कृत भाषा में तीन  वाच्य होते है
Ø  1. कर्तृवाच्य   2. कर्मवाच्य   3. भाववाच्य
                   1.  कर्तृवाच्य
Ø  कर्तृवाच्य के कर्ता में प्रथमा विभक्ति होती है क्योकि कर्तृवाच्य में कर्ता उक्त होता है उक्त कारक में प्रथमा विभक्ति होती है क्रिया का प्रयोग कर्ता के लिंग पुरुष वचन के अनुसार होगा तथा कर्तृवाच्य में कर्म अनुक्त होता है अनुक्त कर्म में द्वितीया विभक्ति होती है
यथा- राम: पुस्तकं पठति (राम: = कर्ता   पुस्तकं = कर्म  पठति = क्रिया)
2. कर्मवाच्य
Ø  कर्मवाच्य में वाक्य में कर्म उक्त होता है उक्त कर्म में प्रथमा विभक्ति होती है
Ø  कर्मवाच्य के वाक्य में क्रिया का प्रयोग कर्म के लिंग पुरुष वचन के अनुसार होगा
Ø  कर्मवाच्य में कर्ता अनुक्त होता है अनुक्त कर्ता में तृतीया  विभक्ति होती है
Ø  कर्मवाच्य के वाक्य मे क्रिया हमेशा आत्मनेपदी होजाती है
यथा – रामेण            ग्रन्थ:         पठ्यते
                                   
    अनुक्त कर्ता       उक्त कर्म        क्रिया आत्मनेपदी
3. भाववाच्य
Ø  भाववाच्य मे कर्ता अनुक्त होता है
Ø  भाववाच्य के वाक्य में कर्म क अभाव होता है क्रिया आत्मनेपदी में होती है
यथा – मया पठ्यते , मया क्रीडयते , त्वया गम्यते
वाच्य परिवर्तन

कर्तृवाच्य                         कर्मवाच्य                    भाववाच्य
1.अहं श्लोकं पठामि      -        मया श्लोक: पठ्यते             तेन पठ्यते
2. मोहनः पुस्तकं पठति   -      मोहनेन पुस्तकं पठ्यते            तया पठ्यते
3. सीता गीतं गामति     -       सीतया गीतः गीयते              भवता पठ्यते
4. अयं बालकः पुस्तकं पठति  -   अनेन बालकेन पुस्तकं पठ्यते      मया हस्यते
5. अहं कथां पठामि  -           मया कथा पठ्यते                त्वया गीयते
6. अहं कथे पठामि   -           मया कथे पठयेते                युवाम्भ्यां क्रीडयेते
7.अहं कथाः पठामि  -            मया कथाः पठ्यन्ते               युष्याभिः पठ्यते
8. कृषकः अजां नयति  -         कृषकेण अजा नियते
9. रमा श्लोकान् पठति  -         रमया श्लोकाः नियते
10. बालकाः फलानि खादन्ति  -    बालकै: फलानि खाद्यन्ते
v  घटिका चित्र – समय लेखनम्                 हिन्दी              संस्कृत
1. रामः प्रातः पञ्चवादने उतिष्ठति            बजे       =         वादने
2. अनिलः सार्धचतुवार्दने उतिष्ठति            सवा       =         सपाद
3. रमा सपादपञ्चवादने उतिष्ठति             साढे       =         सार्ध
4. राकेशः पादोन् पञ्चवादने भ्रमणाय गच्छति   पौने       =         पादोन
Ø  विभक्ति विषयक अशुद्धि संशोधनम्
अशुद्ध                                 शुद्धम्
1. विष्णु: वैकुण्ठे अधिशेते  -             विष्णु: वैकुण्ठम् अधिशेते( शीङ् धातु से पहले अधि)
2. ग्रामस्य परितः वृक्षा: सन्ति –       ग्रामं परित: वृक्षासन्ति(परितः शब्द के कारण)
3.नगरस्य निकषा उपवनस्ति –         नगरं निकषा उपवनस्ति (निकषा के योग मे)
4. रामस्य सह सीता वनगच्छत् -       रामेण सह सीता वनं अगच्छत(सह शब्द के कारण
5. नेत्रात् काण: -                     नेत्रेण काण (इत्यंभूत लक्षणे सूत्र के द्वारा
6. बालकं फ़लम् रोचते –               बालकाय फ़लम्  रोचते(रुच्यार्या प्रियमावः)
7. जनकं नमः –                      जनकाय नमः  (नमः पद के योग)
8. राजा भृत्ये कुर्धयति       =      राजा भृत्याय क्रुध्यते (क्रुध धातु)
9. वृक्षे उपरि काकः तिष्ठति  =       वृक्षस्य उपरि काकः तिष्ठति (उपरि शब्द के कारण )
10. वृक्षेभ्य: अध: छाया      =      वृक्षाणाम् अधः छाया (अध शब्द के कारण )
11.बाल सिहेन बिभेति       =      बालः सिहान्त बिभेति (भित्रार्थानां  भयहेतु)
12. रक्षकः चौराय त्रायते     =      रक्षकः चौरात् त्रायते (भित्रार्थानां भयहेतु)
13. आचार्याय अधीते       =      आचार्यात् अधीते भवति(आख्यातोपयोग इस सूत्र के कारण


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